Short Interest Ratio: (SIR) शेयर मार्केट में शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो क्या है? इसका उपयोग कैसे करें? 2025

Short Interest Ratio: (SIR) शेयर मार्केट में शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो क्या है? इसका उपयोग कैसे करें? 2025 शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो को शॉर्ट किए जा रहे शेयरों की संख्या लेकर उसे स्टॉक के एवेरज डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम से विभाजित करके निकाला जाता है। उदाहरण के लिए, यदि 1 मिलियन शेयर शॉर्ट किए गए हैं और एवरेज ट्रेडिंग वॉल्यूम 500,000 शेयर है, तो SIR 2 होगा। आइए विस्तार से जानते हैं- Short Interest Ratio: (SIR) शेयर मार्केट में शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो क्या है? इसका उपयोग कैसे करें? Short Interest Ratio: (SIR) in Hindi.

Short Interest Ratio
Short Interest Ratio: (SIR) शेयर मार्केट में शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो क्या है? इसका उपयोग कैसे करें? 2025

शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो (SIR) शेयर मार्केट में एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर है। जो शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को मार्केट के संभावित मूवमेंट के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन शेयरों के लिए उपयोगी होता है, जिनमें शॉर्ट सेलिंग की पोजीशन अधिक बनी होती हैं।

इस आर्टिकल में भारतीय शेयर बाजार में शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो के महत्व, इसके उपयोग, विशेषताएं, सीमाएं, और इसे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज में कैसे शामिल किया जाए, पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।

Short Interest Ratio क्या है? 

Short Interest Ratio शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो का तात्पर्य है कि किसी विशेष शेयर/इंडेक्स जैसे निफ़्टी, बैंक निफ़्टी के कुल शॉर्ट सेल्स पोजीशन को उस शेयर/इंडेक्स के एवरेज डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम से विभाजित करके प्राप्त किया गया रेश्यो है। ट्रेंड कॉन्टिनुएशन पैटर्न्स

इसे निम्नलिखित फॉर्मूले से व्यक्त किया जा सकता है-

शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो (SIR) = शॉर्ट में बेचे गए कुल शेयर / एवरेज डेली ट्रेडिंग वॉल्यूम 

यह रेश्यो यह बताने में सहायक होता है कि अगर एवेरज ट्रेडिंग वॉल्यूम के अनुसार ही ट्रेडिंग जारी रहती है तो किसी शेयर को शॉर्ट पोजीशन से बाहर निकलने में कितना समय लगेगा। सरल शब्दों में, यह SIR रेश्यो इन्वेस्टर को यह पता लगाने में बहुत तेज़ी से मदद कर सकता है कि कोई स्टॉक अपने औसत दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम के मुकाबले बहुत ज़्यादा शॉर्ट है या नहीं। 

शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो और शॉर्ट इंटरेस्ट एक जैसे नहीं हैं – शॉर्ट इंटरेस्ट Share market में शॉर्ट सेल गए शेयरों की कुल संख्या को मापता है। न्यूज और इवेंट शेयर/इंडेक्स के ट्रेडिंग वॉल्यूम को घटा और बढ़ा सकते हैं इसलिए इसकी तुलना हमेशा वास्तविक शॉर्ट इंटरेस्ट और ट्रेडिंग वॉल्यूम से की जानी चाहिए। 

यह याद रखना बेहद ज़रूरी है कि शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो और शॉर्ट इंटरेस्ट एक जैसे नहीं हैं। शॉर्ट इंटरेस्ट शेयर मार्केट में शॉर्ट सेल गए शेयरों की कुल संख्या को मापता है। जबकि शॉर्ट इंटरेस्ट रेशियो एक ऐसा फ़ॉर्मूला है, जिसका इस्तेमाल यह मापने के लिए किया जाता है कि Stock market में मौजूद सभी शॉर्ट शेयरों को कवर होने में कितने दिन लगेंगे।

Short Interest Ratio की विशेषताएं

Short Interest Ratio शार्ट इंट्रेस्ट रेश्यो की शेयर मार्केट ट्रेडर्स/इन्वेस्टर्स को निम्नलिखित सूचनाएं देता हैं-

  1. मार्केट सेंटीमेंट का इंडिकेटर: SIR यह संकेत देता है कि ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स मार्केट में बिकवाली करना चाहते हैं अथवा खरीदारी करना चाहते हैं। किसी स्टॉक का हाई शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो दर्शाता है कि ट्रेडर्स उस स्टॉक को बेचने में ज्यादा इंट्रेस्ट ले रहे हैं। अतः इसके प्राइस में गिरावट होने की आशंका है। 
  2. शार्ट स्क्वीज का रिस्क: शेयर के बारे में अचानक कोई पॉजिटिव न्यूज (जैसे, मजबूत आय या कोई सफल उत्पाद) आती है तो शेयर की कीमत बढ़ सकती है। जिससे शॉर्ट स्क्वीज़ शुरू हो सकता है। शॉर्ट-सेलर अपनी पोजीशन को कवर करने के लिए जल्दबाजी कर सकते हैं। जिससे शेयर की मांग बढ़ेगी, जिसकी वजह से स्टॉक की कीमत और अधिक बढ़ जाएगी। शॉर्ट कवरिंग के कारण शेयर प्राइस तेजी से ऊपर जा सकते हैं। इसे “शॉर्ट स्क्वीज” कहा जाता है।
  3. लिक्विडिटी का मापन: यह रेश्यो यह बताता है कि किसी विशेष स्टॉक में लिक्विडिटी कितनी है। अगर SIR अधिक है, तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक में शॉर्ट कवरिंग आने में अधिक समय लगेगा। एक हाई  SIR लो लिक्विडिटी चुनौतियों को भी उजागर करता है। शॉर्ट-सेलर के लिए स्टॉक की कीमत को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किए बिना अपनी पोजीशन से जल्दी से बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है। 
  4. वोलैटिलिटी का पूर्वानुमान: हाई SIR का मतलब यह भी हो सकता है कि उस स्टॉक में वोलैटिलिटी अधिक होगी। अधिक वोलैटिलिटी वाले स्टॉक में ट्रेडिंग करने में हाई रिस्क होता है। 

Short Interest Ratio की सीमाएं 

Short Interest Ratio SIR, डेटा अक्सर बहुत देर से आता है। भारतीय शेयर मार्केट में, यह डेटा हर 15 दिनों में अपडेट होता है। जो इसे कम प्रभावी बना सकता है। शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो को अन्य फंडामेंटल और टेक्निकल  इंडीकेटर्स के साथ जोड़कर देखना चाहिए। इसे अकेले इस्तेमाल करने से गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं।

स्मॉलकैप और कम ट्रेड होने वाले स्टॉक्स में हाई SIR होना आम बात है। इन स्टॉक्स में वोलैटिलिटी बहुत अधिक होती है, जिससे जोखिम भी बढ़ जाता है। SIR मार्केट सेंटिमेंट में अचानक बदलाव को कैप्चर नहीं कर सकता। यह केवल अतीत के डेटा पर आधारित होता है।

इसके अलावा, किसी को यह भी विचार करना चाहिए कि अचानक होने वाली घटनाएँ और समाचार ट्रेडिंग वॉल्यूम को प्रभावित कर सकते हैं। जिससे शार्ट इंट्रेस्ट रेश्यो बढ़ या घट भी सकता है। पूरी तस्वीर पाने के लिए रेश्यो की हमेशा वास्तविक शॉर्ट इंटरेस्ट और ट्रेडिंग वॉल्यूम से तुलना की जानी चाहिए। 

Short Interest Ratio के अनुसार ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं?

1. शॉर्ट स्क्वीज की पहचान: अगर किसी स्टॉक का SIR बहुत अधिक है और शेयर प्राइस बढ़ने लगते हैं। तब शॉर्ट सेलर्स को अपनी पोजीशन कवर करनी पड़ सकती है। इससे “शॉर्ट स्क्वीज” की स्थिति पैदा हो सकती है। जिससे स्टॉक के प्राइस बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं। इस प्रकार, ऐसे स्टॉक्स में लॉन्ग पोजीशन लेकर प्रॉफिट कमाया जा सकता है।

2. हाई SIR वाले स्टॉक्स से बचाव: अगर किसी स्टॉक का SIR लगातार बढ़ रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि उस स्टॉक के प्राइस में गिरावट का जोखिम है। ऐसे मामलों में निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।

3. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): अगर SIR अधिक है और RSI ओवरसोल्ड ज़ोन में है। तो यह ट्रेंड रिवर्सल का संकेत हो सकता है। यहाँ से शेयर के प्राइस में पलटाव हो सकता है।

4. वॉल्यूम एनालिसिस: SIR को वॉल्यूम डेटा के साथ मिलाकर देखा जा सकता है। हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ SIR का गिरना सकारात्मक संकेत हो सकता है।

5. शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग: हाई SIR वाले स्टॉक्स में शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग के लिए उपयुक्त अवसर होते हैं। उदाहरण: जब किसी स्टॉक का SIR अचानक गिरता है, तो यह शॉर्ट कवरिंग का संकेत हो सकता है।

भारतीय शेयर मार्केट में SIR के प्रयोग

भारतीय शेयर बाजार में, SIR डेटा का उपयोग निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है-

1. एफएंडओ (F&O) सेगमेंट में उपयोग: फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट में शॉर्ट इंटरेस्ट डेटा का उपयोग अधिक प्रचलित है। यह दर्शाता है कि किन स्टॉक्स में अधिक शॉर्ट पोजीशन हैं।

2. लार्ज-कैप बनाम स्मॉल-कैप स्टॉक्स: लार्ज-कैप स्टॉक्स में SIR आमतौर पर कम होता है, जबकि स्मॉल-कैप स्टॉक्स में यह अधिक हो सकता है। लार्ज-कैप में SIR बढ़ना महत्वपूर्ण चेतावनी संकेत हो सकता है।

3. सेक्टरल एनालिसिस: कुछ सेक्टर्स में शॉर्ट पोजीशन का रेश्यो अधिक होता है। जैसे: IT सेक्टर में वोलैटिलिटी अधिक होने पर SIR का उपयोग फायदेमंद हो सकता है।

निष्कर्ष

शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो (SIR) भारतीय शेयर मार्केट में एक उपयोगी इंडिकेटर है। जो इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को मार्केट सेंटीमेंट और शेयर मार्केट में अक्सर आने वाले संभावित जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसे अन्य टेक्निकल और फंडामेंटल इंडीकेटर्स के साथ संयोजन में उपयोग करना चाहिए। SIR के डेटा का सही उपयोग करके, ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स हाई रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं और शेयर बाजार की अनिश्चितताओं से बच सकते हैं।

शॉर्ट इंटरेस्ट रेश्यो का उपयोग केवल एक इंडिकेटर के रूप में करना चाहिए न कि पूर्ण निर्णय के लिए। भारतीय मार्केट की विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए SIR के डेटा का विश्लेषण करें। फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के साथ इस इंडिकेटर को शामिल करें। ताकि अधिक सटीक निर्णय लिए जा सकें। 

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